एक आंधी सी मन में उठी,
फिर भी,
निशब्द हूँ,
हुआ ज़ार ज़ार मन,
फिर भी,
स्तब्ध हूँ,
गुज़री हूँ नरक से,
तब भी,
शुद्ध पड़ी हूँ,
सम्मुख है समुन्दर,
लेकिन,
प्यासी और बेबस हूँ,
आंसुओं को पीती हुई,
खुशिओं में औरों की
जीती हूँ,
खुद से हार गई
पर,
दुनिया से जीती हूँ,
एक आग के दरिया में
डूबकर गुजरी हूँ,
फूलों में पली थी कभी,
आज काँटों मे है जीवन,
अब
ना केवल नाम की रही,
हकीकत में हुई
समय पर भरी,
नारी हूँ मैं |
एक आग के दरिया में
ReplyDeleteडूबकर गुजरी हूँ,
फूलों में पली थी कभी,
आज काँटों मे है जीवन,
मन के भावों की सशक्त अभिव्यक्ति .....!!
बढ़िया रचना.....!!
shubhkamnayen.
http://anupamassukrity.blogspot.com/
sadhuwad anupama ji. :)
ReplyDeleteप्यासी और बेबस हूँ,
ReplyDeleteआंसुओं को पीती हुई,
खुशिओं में औरों की
जीती हूँ,
सुन्दर प्रस्तुति
Sangeeta ji aap ka bahut bahut aabhar....:)
ReplyDeleteकविता के माध्यम से अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.
ReplyDeleteइतने दिनों बाद फिर एक सुँदर सी कविता . आज की नारी हर अग्निपरीक्षा से गुजरकर कंचन की तरह देदीप्यमान है .
ReplyDeletehttp://ashishkriti.blogspot.com/
Aacharya ji: aapka aashirwaad hai jo main kuch likhpaatii hun... aabhar :)
ReplyDeleteAnupama ji: aabhar aapka meri post ko nayi purani halchal par lene ke liye...
ReplyDeleteAshish ji: kinhi jaroori karyon mein vyasth hone ki wajah se kafi samay se kuch likh nahi paai...issliye ek lambe samaye ke baad blog par aana hua....protsahan aur kavita ki prashansa ke liye aapka aabhar.. :)
ReplyDeleteनारी जीवन का बहुत ही सटीक और सार्थक चित्रण - शुभ आशीष
ReplyDeleteप्यासी और बेबस हूँ,
ReplyDeleteआंसुओं को पीती हुई,
खुशिओं में औरों की
जीती हूँ,
खुद से हार गई
पर,
दुनिया से जीती हूँ,
....नारी जीवन का बहुत मर्मस्पर्शी और सटीक चित्रण..शुभकामनाएं !
अब
ReplyDeleteना केवल नाम की रही,
हकीकत में
समय पर भारी हूं मैं,
नारी हूँ मैं |
अद्भुत!
I realy like your true, deep heart expression in your poems..liked it very much...
ReplyDeletewelcome to my blog..
Manoj Uncle: protsahan aur prashansa ke liye bahut bahut aabhar.. :)
ReplyDeleteMr.Suresh: thank u so much for ur comments...:)
ReplyDeleteBahut Achche kavita parne ke dauraan puri kavita ko feel ki ja sakti hai... Bahut wazandaar kavita hai... Kavietry Pratima Rai...
ReplyDeleteaapka aabhar sudheer ji
ReplyDelete