Tuesday, August 16, 2011

नारी हूँ मैं

   


एक आंधी सी मन में उठी,
 फिर भी,
निशब्द हूँ,
हुआ ज़ार ज़ार मन,
फिर भी,
 स्तब्ध हूँ,
गुज़री हूँ नरक से,
तब भी,
शुद्ध पड़ी हूँ,
सम्मुख है समुन्दर,
लेकिन,
प्यासी और बेबस हूँ, 
आंसुओं को पीती हुई,
खुशिओं में औरों की
जीती हूँ,
खुद से हार गई
पर,
दुनिया से जीती हूँ,
एक आग के  दरिया में
डूबकर गुजरी हूँ, 
फूलों में पली थी कभी,
आज  काँटों मे है जीवन,
अब
ना केवल  नाम की रही,
हकीकत में हुई
समय पर भरी,
नारी हूँ मैं | 
  
  

18 comments:

  1. एक आग के दरिया में
    डूबकर गुजरी हूँ,
    फूलों में पली थी कभी,
    आज काँटों मे है जीवन,
    मन के भावों की सशक्त अभिव्यक्ति .....!!
    बढ़िया रचना.....!!
    shubhkamnayen.

    http://anupamassukrity.blogspot.com/

    ReplyDelete
  2. प्यासी और बेबस हूँ,
    आंसुओं को पीती हुई,
    खुशिओं में औरों की
    जीती हूँ,

    सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. Sangeeta ji aap ka bahut bahut aabhar....:)

    ReplyDelete
  4. कविता के माध्यम से अच्छी अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  5. कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.

    ReplyDelete
  6. इतने दिनों बाद फिर एक सुँदर सी कविता . आज की नारी हर अग्निपरीक्षा से गुजरकर कंचन की तरह देदीप्यमान है .
    http://ashishkriti.blogspot.com/

    ReplyDelete
  7. Aacharya ji: aapka aashirwaad hai jo main kuch likhpaatii hun... aabhar :)

    ReplyDelete
  8. Anupama ji: aabhar aapka meri post ko nayi purani halchal par lene ke liye...

    ReplyDelete
  9. Ashish ji: kinhi jaroori karyon mein vyasth hone ki wajah se kafi samay se kuch likh nahi paai...issliye ek lambe samaye ke baad blog par aana hua....protsahan aur kavita ki prashansa ke liye aapka aabhar.. :)

    ReplyDelete
  10. नारी जीवन का बहुत ही सटीक और सार्थक चित्रण - शुभ आशीष

    ReplyDelete
  11. प्यासी और बेबस हूँ,
    आंसुओं को पीती हुई,
    खुशिओं में औरों की
    जीती हूँ,
    खुद से हार गई
    पर,
    दुनिया से जीती हूँ,

    ....नारी जीवन का बहुत मर्मस्पर्शी और सटीक चित्रण..शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  12. अब
    ना केवल नाम की रही,
    हकीकत में
    समय पर भारी हूं मैं,
    नारी हूँ मैं |

    अद्भुत!

    ReplyDelete
  13. I realy like your true, deep heart expression in your poems..liked it very much...
    welcome to my blog..

    ReplyDelete
  14. Manoj Uncle: protsahan aur prashansa ke liye bahut bahut aabhar.. :)

    ReplyDelete
  15. Mr.Suresh: thank u so much for ur comments...:)

    ReplyDelete
  16. Bahut Achche kavita parne ke dauraan puri kavita ko feel ki ja sakti hai... Bahut wazandaar kavita hai... Kavietry Pratima Rai...

    ReplyDelete