अंक - 3
- आचार्य परशुराम राय
10. क्रैब एपल (Crab Apple): अपने प्रति घृणा,उदासी और निराशा। यह औषधि हमारे मन या शरीर का उन रोगों से मुक्त करती है जिनके कारण हम अपने आप से घृणा करते हैं या उस अंग को काट देना चाहते हैं, जिसके कारण हमें शारीरिक या मानसिक पीड़ा होती हो। दूसरे शब्दों में रोगी जब दाँत के दर्द से पीड़ित होता है तो वह डॉक्टर से उस दाँत को निकाल देने के लिए कहता है। फोड़े से पीड़ित है तो जल्दी आपरेशन कराकर उस फोड़े से मुक्त होना चाहता है। यदि उसे कोई चर्मरोग हो गया है, जिससे वह लोगों के बीच में अपने को हीन समझता है तथा उसे लोगों से छिपाता है,तो 'क्रैब एपल' के प्रयोग से उसे रोग से छुटकारा मिल सकता है।
11. एल्म (Elm): प्राय: अपर्याप्तता का भाव, उदासी और थकान। यह औषधि उनके लिए है, जो अपने उत्तरदायित्व और कार्य के बोझ से अपने को प्राय: दबा हुआ महसूस करते हैं और अपेक्षित परिणाम न मिलने से उदास हो जाते हैं तथा थकान का अनुभव करते हैं। अत: यह दवा उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो काफी सक्षम हैं और ऊॅंचे पदों पर कार्यरत हैं, जैसे उद्योगपति, मंत्री, चिकित्सक, अध्यापक, नर्स आदि।
12. जेन्शियन (Gentian) : उदासी, निराशा,हतोत्साह, अनिश्चितता। यह उन लोगों के रोग में लाभदयक है जो कठिनाइयाँ आने पर और मनोनुकूल परिणाम न होने पर जल्दी ही साहस खो दते हैं इसके कारण उनमें उदासी और निराशा घर कर जाती है।
13. गॉर्स (Gorse): निराशा। जो लोग अपने रोग का इलाज कराते - कराते थक गए हों और रोग से मुक्त होने की आशा छोड़ चुके हों, वे इस औषधि से रोग मुक्त हो सकते हैं।
14. हीदर Heather): आत्म-केन्द्रित होना, सदा अपनी चिन्ता करना। यह औषधि एग्रीमीनो के बिल्कुल विपरीत है। एग्रीमोनी का रोगी अपने कष्ट की चर्चा बिल्कुल नहीं करता, जबकि हीदर का रोगी हमेशा दूसरों से अपना ही रोना रोता रहता है, चाहे बीमारी हो, पारिवारिक कष्ट हो या और कोई परेशानी। डाक्टर के पास अपनी बीमारी की छोटी-छोटी बातों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर विस्तार से वर्णन करता है।
15. होल्ली (Holly): घृणा,र् ईष्या, शक। जिनके स्वभाव में ये प्रवृत्ति पायी जाएँ, होल्ली उनके लिए अमृत है। यह उनके केवल रोग को ही नहीं, बल्कि उनके मन से घृणा,र् ईष्या और शक को भी दूर करती है।
16. हनीसकुल (Honeysuckle): सदा बीते यादों में खोए रहना। इस औषधि के विषय में डाँ. एडवर्ड बाक का निष्कर्ष उन्हीं के शब्दों में :
'' यह औषधि पिछले पश्चातापों और दुखों को मन से मिटाकर,बीते जीवन के प्रभाव, चाहतें और इच्छाओं को समाप्त कर हमें वर्तमान में लाने के लिए हैं। ''
17. हार्नबीम (Hornbeam) : मानसिक एवं शारीरिक थकान। यह थकान मानसिक अधिक और वास्तविक (शारीरिक) कम होती है। अर्थात शारीरिक थकान मानसिक थकान के कारण महसूस होती है। ऐसी स्थिति में हार्नबीम मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करती हैं।
18. इम्पेशेंस (Impatiens) : अधीरता,चिड़चिड़ापन, चरम मानसिक तनाव। ये लोग बहुत ही बुद्धिमान, तत्काल निर्णय लेने वाले, जल्दी-जल्दी काम करने वाले होते हैं। यदि आप अपनी बात धीरे-धीरे कह रहे हों तो आपके वाक्य को वे खुद पूरा कर देते हैं, कोई चीज देने में जरा भी विलम्ब हो तो वे उसे आपके हाथ से झपट लेते हैं अर्थात् जरा भी विलम्ब उनके लिए बर्दाश्त से बाहर हो जाता है और उनमें चरम मानसिक तनाव पैदा करता है। ऐसे लोगों की औषधि हैं : 'इम्पेशेंस'।
अगले अंक में पुनः आगे की नौ औषधियों पर चर्चा की जाएगी।
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बाक फ्लावर औषधियों का तीसरा अंक प्रकाशित करने के लिए आभार।
ReplyDeleteThanks for all your contribution acharya ji.
ReplyDeleteRegards
हम पढ़ रहे है और इसे पढने के उपरांत नवीन जानकारी को बाटने की हर कोशिश भी करेंगे . आभार आपका .
ReplyDeleteबाक फ्लावर औषधियो की और जानकारी मिली। अगले अंकों की प्रतीक्षा रहेगी।
ReplyDelete.
ReplyDeleteआदरणीय परशुराम जी ,
आपका प्रयास बेहद सराहनीय है । आपके द्वारा दी जा रही जानकारी बेश कीमती है । साहित्य कों समृद्ध करते इन लेखों के लिए आपका आभार ।
मेरे लिए ये जानकारी बिलकुल नयी है । आपके अगले लेख का इंतज़ार रहेगा ।
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mere liye bhi nai jaankaari rahi ,agle ke prtiksha me ....
ReplyDeleteज्ञानवर्धक - धन्यवाद्
ReplyDeleteThank u every one for such a good response. And I heartly congratulate Aacharya Ji for the post.
ReplyDeleteमै पहली बार हूं और मुझे अच्छा लगा आपका ब्लाग..अच्छी जानकारी है....फॉलो भी कर लिया है....आप भी आएं...
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