अंक – 4
- आचार्य परशुराम राय
19. लार्च (Larch): आत्मविश्वास का अभाव, असफलता से आशंकित, उदासी, हीन भावना। अपने आप पर और अपनी क्षमता पर विश्वास के अभाव के कारण वे कुछ भी करने का प्रयास नहीं करते। इससे उनमें हीन भावना का जन्म होता है और सदा उदास बने रहते हैं। ऐसी मानसिकता वाले रोगियों के लिए लार्च बहुत ही उपयोगी है।
20. मिम्युलस (Mimulus) :यह औषधि 'आस्पेन' के बिल्कुल विपरीत है। आस्पेन से भय के मूल का पता नहीं होता, जबकि मिम्युलस के भय का मूल ज्ञात रहता है। मिम्युलस के भय का रूप उतना भयानक नहीं होता, जितना 'रॉक रोज' का।
21. मस्टर्ड (Mustard) :अज्ञात कारण से घोर उदासी। एक ऐसी उदासी, ऐसी निराशा व्यक्ति को घेर ले जिसका कोई स्पष्ट कारण न दिखाई पड़ता हो, तो इस औषधि से रोगी को लाभ होगा। डाँ. बाक कहते हैं कि यह उदासी को दूर भगाती है और जीवन में खुशी लाती है।
22. ओक (Oak) : उदासी, निराशा, लेकिन प्रयत्न करते रहना। यह दवा 'गॉर्स' के विपरीत है। 'गॉर्स' का रोगी निराश होकर अपने रोगों का इलाज बंद कर देता। लेकिन ओक का रोगी अपने रोग के इलाज से निराश होने के बावजूद एक के बाद दूसरे, तीसरे चिकित्सक से इलाज कराता रहता।
23. ओलिव (Olive) : पूरी थकान, चरम मानसिक और शारीरिक थकान। यह उन लोगों की औषधि है जो लम्बे समय से चिन्ता और विषम परिस्थिति के शिकार रहे हैं या लम्बी और गम्भीर बीमारी जिनके जीवनी शक्ति को चूस ली है। 'ओलिव' ऐसे रोगियों के लिए है।
24. पाइन (Pine) : प्राय: अपने पर दोषारोपण करना, आत्म-भर्त्सना करना, अपने को अपराधी/दोषी मानना इस औषधि की प्रकृति है। जिन लोगों में ये प्रवृत्तियाँ पायी जायें, उन्हें पाइन से अवश्य लाभ होगा।
25. रेड चेस्टनट (Red Chestnut) :सदा दूसरों के लिए चिन्तित एवं भयभीत रहना। इसके सम्बन्ध में डाँ. बाक लिखते हैं कि रेड चेस्टनट का भय दूसरों के लिए विशेषकर अपने प्रियजन के लिए होता है। जब कोई अपना प्रियजन कहीं बाहर जाता है या उसकी खबर नहीं मिलती तो व्यक्ति भयभीत रहता है कि कहीं उसे कुछ हो न जाए। ऐसी स्थिति में रेड चेस्टनट का प्रयोग किया जाता है।
26. राक रोज (Rock Rose) : आतंक, संत्रास, चरम सीमा पर भय। राक रोज का सेवन तब करना चाहिए जब कोई एक दम आतंकित हो जाए, भले ही उसका स्वास्थ्य अच्छा हो या जब किसी दुर्घटनाग्रस्त होने से आतंक हो तो यह दवा प्रयोग की जाती है। दुर्घटना में बाल-बाल बचने के बाद भी उसका आतंक व्यक्ति पर छाया हो। रोगी के साथ दुर्घटना के कारण यदि आस-पास के लोगों में भी आतंक या भय छाया हो तो उन्हें भी यह दवा देनी चाहिए। इससे वे इस आतं से पूर्णतया मुक्त हो जाएंगे।
27. राक वाटर (Rock Water) : फ्लावर औषधियों की सूची में यही एक ऐसी औषधि है जो किसी फूल से नहीं, बल्कि रॉक से निकलने वाले पानी से बनी है। यह 'बीच' के ठीक विपरीत है। बीच का रोगी दूसरों को अनुशासित करना चाहता है, जब कि 'राक रोज' का रोगी हमेशा अपने को अनुशासित करता है। अपने उसूलों और आदर्शों के लिए समर्पित रहता है। ऐसे व्यक्तियों की बीमारी में यह औषधि उपयोगी है।
अगले अंक में शेष ग्यारह औषधियों पर चर्चा की जाएगी।
- आचार्य परशुराम राय
19. लार्च (Larch): आत्मविश्वास का अभाव, असफलता से आशंकित, उदासी, हीन भावना। अपने आप पर और अपनी क्षमता पर विश्वास के अभाव के कारण वे कुछ भी करने का प्रयास नहीं करते। इससे उनमें हीन भावना का जन्म होता है और सदा उदास बने रहते हैं। ऐसी मानसिकता वाले रोगियों के लिए लार्च बहुत ही उपयोगी है।
20. मिम्युलस (Mimulus) :यह औषधि 'आस्पेन' के बिल्कुल विपरीत है। आस्पेन से भय के मूल का पता नहीं होता, जबकि मिम्युलस के भय का मूल ज्ञात रहता है। मिम्युलस के भय का रूप उतना भयानक नहीं होता, जितना 'रॉक रोज' का।
21. मस्टर्ड (Mustard) :अज्ञात कारण से घोर उदासी। एक ऐसी उदासी, ऐसी निराशा व्यक्ति को घेर ले जिसका कोई स्पष्ट कारण न दिखाई पड़ता हो, तो इस औषधि से रोगी को लाभ होगा। डाँ. बाक कहते हैं कि यह उदासी को दूर भगाती है और जीवन में खुशी लाती है।
22. ओक (Oak) : उदासी, निराशा, लेकिन प्रयत्न करते रहना। यह दवा 'गॉर्स' के विपरीत है। 'गॉर्स' का रोगी निराश होकर अपने रोगों का इलाज बंद कर देता। लेकिन ओक का रोगी अपने रोग के इलाज से निराश होने के बावजूद एक के बाद दूसरे, तीसरे चिकित्सक से इलाज कराता रहता।
23. ओलिव (Olive) : पूरी थकान, चरम मानसिक और शारीरिक थकान। यह उन लोगों की औषधि है जो लम्बे समय से चिन्ता और विषम परिस्थिति के शिकार रहे हैं या लम्बी और गम्भीर बीमारी जिनके जीवनी शक्ति को चूस ली है। 'ओलिव' ऐसे रोगियों के लिए है।
24. पाइन (Pine) : प्राय: अपने पर दोषारोपण करना, आत्म-भर्त्सना करना, अपने को अपराधी/दोषी मानना इस औषधि की प्रकृति है। जिन लोगों में ये प्रवृत्तियाँ पायी जायें, उन्हें पाइन से अवश्य लाभ होगा।
25. रेड चेस्टनट (Red Chestnut) :सदा दूसरों के लिए चिन्तित एवं भयभीत रहना। इसके सम्बन्ध में डाँ. बाक लिखते हैं कि रेड चेस्टनट का भय दूसरों के लिए विशेषकर अपने प्रियजन के लिए होता है। जब कोई अपना प्रियजन कहीं बाहर जाता है या उसकी खबर नहीं मिलती तो व्यक्ति भयभीत रहता है कि कहीं उसे कुछ हो न जाए। ऐसी स्थिति में रेड चेस्टनट का प्रयोग किया जाता है।
26. राक रोज (Rock Rose) : आतंक, संत्रास, चरम सीमा पर भय। राक रोज का सेवन तब करना चाहिए जब कोई एक दम आतंकित हो जाए, भले ही उसका स्वास्थ्य अच्छा हो या जब किसी दुर्घटनाग्रस्त होने से आतंक हो तो यह दवा प्रयोग की जाती है। दुर्घटना में बाल-बाल बचने के बाद भी उसका आतंक व्यक्ति पर छाया हो। रोगी के साथ दुर्घटना के कारण यदि आस-पास के लोगों में भी आतंक या भय छाया हो तो उन्हें भी यह दवा देनी चाहिए। इससे वे इस आतं से पूर्णतया मुक्त हो जाएंगे।
27. राक वाटर (Rock Water) : फ्लावर औषधियों की सूची में यही एक ऐसी औषधि है जो किसी फूल से नहीं, बल्कि रॉक से निकलने वाले पानी से बनी है। यह 'बीच' के ठीक विपरीत है। बीच का रोगी दूसरों को अनुशासित करना चाहता है, जब कि 'राक रोज' का रोगी हमेशा अपने को अनुशासित करता है। अपने उसूलों और आदर्शों के लिए समर्पित रहता है। ऐसे व्यक्तियों की बीमारी में यह औषधि उपयोगी है।
अगले अंक में शेष ग्यारह औषधियों पर चर्चा की जाएगी।
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