बह जानेदे आंसुओं को
ना रोक राही आज बढ़कर
जो हंसी थी इन लबों पे
ना खोज उनको अब कहीं पर
डर है मुझको खो ना जाऊं
बनके कोई नाम केवल
दुनिया की इन रीतियों में
खोज ना मुझको अब कहीं पर
अब तो सांसें कुछ बची हैं
यूँ ना तौल मुझे किसी से
खुल के जीने दे मुझे अब
फिर ना मुझको रोक आकर
Oh good start pratima!!! nice poem.. need some write ups too.. All the very best !
ReplyDeletedont forget people are watching u and I am following ur blog !!!
बहुत कोमल भाव हैं गीत।
ReplyDeleteआगाज अच्छा है।
शुभकामनाएं।
भावनाओं से ओत प्रोत और दिल से लिखी रचना है ..... बहुत खूब प्रतिमा .... सुन्दर रचना .... लाजवाब ... होली की असीम शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
Yashvant ji: Aabhaar.. :)
ReplyDeleteडर है मुझको खो ना जाऊं
ReplyDeleteबनके कोई नाम केवल
दुनिया की इन रीतियों में
खोज ना मुझको अब कहीं पर
खूबसूरती से लिखे हैं मन के भाव
Sangeeta ji: aapka aabhar.. :)
ReplyDeleteनई पुरानी हलचल से आपकी इस पोस्ट पर आना हुआ.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
कोमल भाव मन को छूते हैं.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
Rakesh ji: sadhuwaad. :)
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